humadjainfederation

Federation of Humad Jain Samaj

HISTORY OF FEDERATION
AN FEDERATION IDENTITY

सम्माननीय समाज जन

सादर जय जिनेन्द।

'फेडरेशन ऑफ हूमड जैन समाज की इस साईड पर आपका स्वागत है। फेडरेशन के गठन की प्रक्रिया आप तक पहुँचाने का कार्याभार मुजे नवगठित कार्यकर्णी ने सौपा है। मै इस संस्था के सभी क्रिया कलापों की साक्षी रही हे अतः इसके सभी तथ्यों को संकलित कर आप तक पहुँचाने का प्रयास किया है,। यह 'इस गरिमामय संस्था के विकास की कहानी है जो सभी सदस्यों को इससे रूबरू करवायेगी।

(१) एड्होक कमेटी अध्यक्ष २००६ से २००८

  • श्री देवेंद्रजी छाप्य (उदयपूर)

(२) प्रथम कार्यकारिणी २००८ - २०१०

  • अध्यक्ष - श्री हॅसमुख जी गॉधी (इन्दौर म. प्र.)
  • मंत्री - श्री निरनंजनजी जुँवा (अहमदाबाद गुजरात)

(३) द्वितीय कार्यकारिणी अध्यक्ष २०१० - २०१२

  • श्री निरनंजनजी जुँवा (अहमदाबाद गुजरात)
  • मंत्री - श्री अजितजी कोठिया (डडुका राजस्थान)

(४) तृतीय कार्यकारिणी अध्यक्षव २०१२ - २०१४

  • श्री महेन्द्रजी शाह (मुम्बई-मह)
  • मंत्री - स्व. श्री संजयजी गॉधी (मनासा. म. प्रत्र)

(५) चतुर्थ कार्यकारिणी अध्यक्ष २०१४ - २०१६

  • श्री अशोकजी शाह (उदयपुर राजस्थान)
  • मंत्री - श्री विपिनजी गॉधी (इन्दार. म. प्र.)

(६) पंचम कार्यकारिणी अध्यक्ष २०१६ - २०१८

  • श्री डॉ. श्रेणिकजी शहा
  • श्रीमती कौशल्याजी पंतग्या

(७) छठी कार्यकारिणी अध्यक्ष

  • श्री दिनेशचन्द्रजी शाह (डुगंरपुर राजस्थान)
  • मंत्री - मिहिर जी गॉधी (अकलुज महाराष्ट्र)

(७) सातवीं कार्यकारिणी अध्यक्ष

  • श्री बसंतजी दोशी (अहमदाबाद गुजरात)
  • मंत्री - अजीतजी कोटिया (राजस्थान)

फेडरेशन ऑफ हूमड जैन समाज इतिहास के आयने मे

इतिहास अतीत को देखने की तीसरी आँख (third eye) है। पुराने साक्ष्य को सांस्कृतिक विरासत जोडकर अनुमान ज्ञान के द्वारा तर्क की कसौटी पर कस कर तैयार किये गये दस्तावेज जो यथार्थता का पोषण करते है, उन्हें हम इतिहास का नाम देते है।

इतिहास विदों की मान्यता है कि जिस राष्ट्र या समाज की सांस्कृतिक विरासत होती है उस राष्ट्र और समाज की शिराओं और घमनियों में संस्कृतिरुषी प्राण प्रवाहित होते हैं वही उसे जाग्रत और जीवंत बनाये रख सकते हैं। हूमड समाज अपने समृध्द सांस्कृतिक अतीत के कारण काछ के कालकूट को वरण करते हूये भी अजय और अड़िग है।

इतिहास आम विद्यार्थी के लिये एक रुखा विषय है। कोई इसे पढ़ना नहीं चाहता पर मुश्किल यह है कि इसके बिना ग्रुजारा भी नही चलता। प्रत्येक व्यक्ति के मन में वंश परिवार, रिश्तेदार समाज के बारे में जानने की ललक होती है। विवाह आदि के अवसर पर तो यह ओर भी आवश्यक हो जाता है जब कोई गोत्र, वंश, परपंरा पूछता है तो इधर उधर म्माँकने की आवश्यकता बलवती हे। उठती है। यही आवश्कता की प्रक्रिया को इतिहास की संझा दे सकते हैं। हम कौन है ? कहा से आये ? आज हमारे आचरण और व्यवहार एसा है, इसके पिदे क्‍या परिस्थितियो है, इन सबका ब्योरा हम हमारी जड़ो में दूढँने का प्रयास करते है। एक विशेष समूह में जिसे हम समाज का नाम देते हैं। कँँहा से कुछ संरक्षण हमें प्राप्त होता है, और कुछ अधिकार हम उस समूह को देते हैं, वही समाज कहलाता हैं।

हूमड़ इतिहास की सबसे पहली जानकारी विक्रम संवत 909 में देवसेनाचार्य रचित प्राकृत दर्शन सारग्रंथ की गाथा क्र 30 से 38 में मिलती है। प्रताबगढ़ निवासी वैद्य जवाहरलालजी ग़ुमानजी ने इसे झातव्य किया एंव ब्रह्मचारी शीतलप्रसादजी द्वारा रचित ग्रंथ “दानवीर मानकचंद” में इसकी जानकारी को प्रकाशित किया। उसमें लिखा है कि विक्रम राजा के 793 वर्ष बाद नंदीयाड ग्राम में काष्ठा संघ हुआ । वागड देश में काष्ठा संघ की प्रवृति अधिक है और उधर हूमड काष्ठा संघी कहलाते हैं। इसलिये यह अनुमान लगाया गया कि हूमड़ समाज का प्रारम्भ विक्रम संवत 794 में हुआ।

हूमड़ इतिहास की सबसे पहली जानकारी विक्रम संवत 909 में देवसेनाचार्य रचित प्राकृत दर्शन सारग्रंथ की गाथा क्र 30 से 38 में मिलती है। प्रताबगढ़ निवासी वैद्य जवाहरलालजी ग़ुमानजी ने इसे झातव्य किया एंव ब्रह्मचारी शीतलप्रसादजी द्वारा रचित ग्रंथ “दानवीर मानकचंद” में इसकी जानकारी को प्रकाशित किया। उसमें लिखा है कि विक्रम राजा के 793 वर्ष बाद नंदीयाड ग्राम में काष्ठा संघ हुआ । वागड देश में काष्ठा संघ की प्रवृति अधिक है और उधर हूमड काष्ठा संघी कहलाते हैं। इसलिये यह अनुमान लगाया गया कि हूमड़ समाज का प्रारम्भ विक्रम संवत 794 में हुआ।

हूमड़ इतिहास की सबसे पहली जानकारी विक्रम संवत 909 में देवसेनाचार्य रचित प्राकृत दर्शन सारग्रंथ की गाथा क्र 30 से 38 में मिलती है। प्रताबगढ़ निवासी वैद्य जवाहरलालजी ग़ुमानजी ने इसे झातव्य किया एंव ब्रह्मचारी शीतलप्रसादजी द्वारा रचित ग्रंथ “दानवीर मानकचंद” में इसकी जानकारी को प्रकाशित किया। उसमें लिखा है कि विक्रम राजा के 793 वर्ष बाद नंदीयाड ग्राम में काष्ठा संघ हुआ । वागड देश में काष्ठा संघ की प्रवृति अधिक है और उधर हूमड काष्ठा संघी कहलाते हैं। इसलिये यह अनुमान लगाया गया कि हूमड़ समाज का प्रारम्भ विक्रम संवत 794 में हुआ।

344 वर्ष पूर्व यानि सन 655 में शिवाजी ने जयचंद गाँधी को जागीर देकर सम्मानित किया और यूँहा बसाया। हूमड़ समूह में एक सबसे महत्वपूर्ण बात है बार बार प्रत्यावर्तित होने की बाघ्यता। जूँहा बरसो रहे उसे छोडकर दूसरे स्थानपर जाकर बस जाना। इतिहास शोध समिति के कई संदर्भ एंव लोक संदर्भ यह सूचना देते है कि हूमड़ समूह सबसे पहले ईडर में विक्रम संवत 0 में पहचाना गया। ईडर से हूमडो का बहुत बड़ा समूह बागड की ओर प्रत्यावर्तित हुआ। यह पलायन राजनैतिक परिस्थितियों का परिणाम था। यह सुरक्षा की दृष्टि से हुआथा।

बागड़ से उसका अन्य प्रत्यावर्तभ देवगढ़ होते हुये प्रताबगढ़ की ओर हुआ । यह 300/325 वर्ष पूर्व यह प्रत्यावर्तन हुआ होगा। सन्‌ 70 2 फरवरी को देवलिया में दिगंबर जैन संप्रदाय के मन्दिर (बड़ा मंदिर) की प्रतिष्ठा वर्षा के पुत्र वर्धमान और पौत्र दयाल ने की। वर्षाशाह महारावत हरिसिंह के समय उनका मंत्री था। उसी के प्रयत्नों से ॥000 हूमड़ परिवार कांठल प्रदेश में प्रत्यावर्तित हुआ। करीब करीब इसी समय छत्रपति शिवाजी के प्रश्नय में ईडर से बहुत बड़ा हूमड़ समाज महाराष्ट्र की ओर प्रवासरत हुआ। बारामती फल्टन, अकलूज, सोलापूर, नालीपुतं दहीगाँव, एलीयपरुर आदि में हूमड़ अस्तित्व में आये।

प्रताबगढ़ में हूमड समूह ने शासकीय प्रश्रयमें शासन संचालन और व्यापार व्यवस्था में अपनी योग्यता को प्रदर्शित किया। स्थाई निवास एंव मंदिरो का निर्माण कराया। शिक्षा एंव आर्थिक क्षेत्र में सुहढ़ता लाने हेतु प्रताबगढ़ से इन्दौर और मुम्बई की ओर प्रवास किया। बागड़ और दक्षिणाचंल के लोग यूरत, मुम्बई व पूना की ओर प्रवास कर गये।

इस छोटे से समाज ने विदेशोंकोभी अपना कार्यक्षेत्र चुना । वागड क्षेत्र के लोग खाडी देशों में अपना भाग्य अजमाया ॥ इन्दौर, मुम्बई, गुजरात कें लोग पश्चिम की ओर गये। संमवत इसी प्रत्यावर्तन ने हूमड़ समूह: को जम्मारू एंव कर्मशील बनाया।

पुरे मारत के हूमड़ो को एक सूत्र में बाँघने के प्रयास अनेक बुध्दीजीवी व्यतियों ने किये। (संवत 904) सन्‌ 927 में समाज की परिस्थितियों से जागरूक श्री जवाहरलालजी वैद्य (प्रताबगढ़ राज) ने एक सपना देखा था। आपने एक एतिहासिक दस्तावेज तैयार किया था, जिसमें सामाजिक स्तर पर समाज सुधार के साथ साथ यह निवेदन किया था कि “जेठ सुदी पुनम” को सभी मंदिर के मुखिया एक स्थान पर एकत्रित हो नयी दिशा में विद्चार विमर्श करें।

यह दस्तावेज संवत 984 वैशाख सुदी को प्रस्तापगढ़ (राजपुताना) से लिखा गया और उसमे *आपका शुमेच्छु - जवाहरलाल जैन वैद्य” लिखा था। इन्ही सब प्रयासों के बीच एक रोशन सितारा गुजरात से उदित हुआ जिनका नाम था “श्री हीरालालजी सालगिया”। जिन्हें एक घुन थी का हूमड़ समाज का अपना एक इतिहास होना चाहिये, ओर इस दुरूहकार्य को आपने अपने हाथों में लिया एक संस्था बनाई जिसे आपने “श्री अखिलिया भारतीय हूमड़ इतिहास शोध समिती” । नाम दिया। इस के माध्यम से राजस्थान, गुजरात, म. प्र. महाराष्ट्र, कर्नाटक, आदि जगह के लोगों का जुड़ाव हुआ और एक इतिहास शोध समिति का निर्माण किया गया जिसके प्रमुख संयोजक श्री हीयलालजी सालगिया अहमदाबाद थे।

संपादक मंडल में

श्री गणेश लालजी छापिया - उदयपुर
श्री घनराजजी गुवाड़िया - सागवाड़ा
श्री बाबुलालजी गाँधी - ईडर
श्री मैय्यलाल बंडी - प्रताबगढ़ फल्टन
श्री आंनदीलालजी वराजदोशी - कंलिजरा
श्री कातिलाल सी जैन - कंलिजरा
श्री हीरालाल जैन - उदयपुर
श्री रतनलाल जने - इन्दौर
श्रीमती डॉ संगीता मेहता - इन्दौर
श्री डॉ सुशीलासालगिया _- मुम्बई
श्री जयन्त शाह - डुगंरघुर
श्री मणिभ्रद्र जैन - डुगंरखपुर

मुख्य संपादक - डॉ रामकुमार गुपर॒ (अहमदाबाद)
सह संपादक - श्रीमती मंजुभरनागर

अखिल भारतीय हूमड़ इतिहास शोध समिति की पहली मिरटिंग दि. जैन मन्दिर विजय नगर हुई
दिनांक :- 18 | 8 | 93 विजयनगर ग्रुजरात
सानिन्ध्य - परमपूज्य सुबाहु सागरजी महाराज अध्यक्षता की - श्री शांतिलालजी दोशी - इन्दौर इसमें हूमड़ जैने समाज ट्रस्ट इन्दौर के मंत्रीश्री कैलाशजी बगेरिया ने भाग लिया। श्री हीरालालजी सालगिया ने इस मिटिगं में हूमड़ समाज से संबधित ग्रथों, मूर्तियों, अंकेक्षित प्रमाण, प्रुरण और पुरातत्व विभाग की सामग्री से हूमड़ समाजकी उपस्ति और उसके तैयार मसविदे प्रस्तुत किये। इस मिटिगं में मुख्य रुप से 5 प्रस्ताव रखे गये

1. प्रस्ताव :- प्रस्तावक - श्री प्रकाश सालगिया - इन्दौर
समर्थक - श्री कैलाशजी बगेरिया - इन्दौर
इतिहास के सम्रंह, शोध, प्रकाशन हेतु एक समिति का गढन किया जावे। इस समिती का ना “श्री हूमड़ समाज इतिहास शोध समिति हो। इसके मुख्य संयोजक श्री हीरालाल सालगिया (अहमदाबाद) रहें। वे इस समिति के सदस्यों के चयन करने हेतु अधिकृत किये जावें।

प्रस्ताव नं. 2 - प्रस्तावक - श्री बाबुलाल सी. गाँधी-ईडर
समर्थक - श्री भैयालालजी बंडी - प्रताबगढ़
यह समिति इतिहास शोध के अलावा निम्न कार्यकरें -
(।) अखिल भारतीय हूमड़ समाज की जनगणना
(2) भारत में हूमड़ समाज की समाज धार्मिक, शैक्षणिक, सामाजिक जानकारी एकत्र करना
(3) अन्य कार्य जो अखिल भारतीय हूमड़ समाज के हित में ही

प्रस्ताव नं. 3 प्रस्तावक - श्री पवनकुमार बागड़िया - इन्दौर
समर्थक - श्री मनुभाई शाह
उनरोक्‍त पस्तावों के उद्देश्य की प्राप्ति हेतु आर्थिक सहयोग जुटाने का अधिकार केन्द्रिय समिति के पास रहेग।

प्रस्ताव नं. 4 - प्रस्तावक - विमल कुमार गाँधी - दिल्‍ली
समर्थक - डॉ. स्वराज्य कुमार हूमड़ - इन्दौर
प्रचलित मान्यता यह है कि हूमड़ जाति की अत्पति का स्थान खेड़ब्रह्मा एंव स्थापना वर्ष विक्रम संवत 101 है। यह विचारणीय विषय है। इस बारे में अन्य मान्यतायें भी प्रचलित है, अतःइतिहास में रुचि रखनेवाले विध्दान इस विषय में पक्ष - विपक्ष में अपने मत सप्रमाण ३ महिने में प्रस्तुत करें। समर्थक - श्री कोतिलाल जैन - कंलिजरा
श्री हीरालालजी जैन - कंलिजरा

प्रस्ताव नं. 5 - प्रस्तावक - श्री विनोद हर्ष
समर्थक - श्री शांतिलालजी दोशी
हम समस्त हूमड़ जाति हूमड़ समाज से सम्बन्धित हैं और भविष्य में हम अपने नाम के साथ सिर्फ हूमड़ जैन शब्द का उपयोग करेगें। भारत जनगणना में सिर्फ जैन शब्द का उपयोग करेगें।

ये प्रस्ताव सर्वसम्मत से पास हुये। ईडर के श्री बाबुभाई गाँधी ने कहा - हम तो एक डाल के पंछी है न वीसा हैं न दशाह हम हूमड़ हैं, मह हूमड़ हैं हूमड़ एकता का यह प्रथम प्रयास परवान चढ़ने को तैयार हुआ।

हूमड़ इतिहास शोध समिति का दूसरी मिटिगं

स्थान - इन्दौर, म. प्र. तीर्थ स्थल गोम्टंगिरि पर आयेजित की गई जिसमें उपस्थिती दर्ज कराई -
(1) श्री हूमड़ जैन समाज ट्र॒स्ट-इन्दौर
(2) श्री हूमड़ युवा मंच - इन्दौर
(3) श्री अ. मा. संस्कार परिसर - इन्दौर
(4) अध्यक्ष - श्री शातिलालजी दोशी - इन्दौर
सयोजक - हीरालालजी सालगिया - अहमदाबाद
श्री यु. एन भाचावत, कन्हैयालालजी सालगिया, श्रीमान सूरजमलजी बोबडा डॉ संगीता मेहता, डॉ सुशीला सालगिया, विमल कुमार गाँधी एंव शोध समिति के सभी सदस्य इस अधिवेशन में इतिहास के प्रथम भाग केलेखन का निर्णय लिया गया।

तृतीय मिटिंग - (तृतीय अधिवेशन)

स्थान - दि. जैन बोर्डिंगं अहमदाबाद
दिनाक - 11. - 12ए जून 1994
(1) इस सम्मेलन में इतिहार हेतु विज्ञापन, विमोचन, की राशी तय की गई
(2) पावागढ़ सिद्ध क्षेत्र महासम्मेलन करने का निर्णय लिया गया
(3) लेखन समिति के सदस्यों ने निर्णय लिया कि इतिहास संपादन हेतु मानदेय के रुप में किसी को अधिकृत किया जावे।
(4) “अखिल भारतीय हूमड़ समाज संगठन” की स्थापना हेतु प्रस्ताव कमेटी का निर्माण किया गया
इसके संयोजक -
प्रकाश सालगिया - इन्दौर
श्री मणिभ्रद्र जैन - डूगंरपुर
श्री गणेशलालजी छापिया - उदयपुर
श्री विनोद हर्ष - अहमदाबाद
श्री शान्तिलालदोशी - इन्दौर
श्री भैयालाल बंडी - प्रताबगढ़
श्री रतनलाल गोरणिया - उदयपुर
श्री कांतिलाल जैन _- कंलिजरा
श्री घनराज गोवाड़िया - सागवाड़ा
श्री बाबुभाई गाँधी - ईडर
श्री बाबुभाई शाह - अहमदाबाद
श्री सुरजमलली बोबडा - इन्दौर
श्री निर्मल कुमार बंडी - मुम्बई
श्री के, एम. शाह - मुम्बई
तराचंद मणिकलाल शाह - मुम्बई

पावागढ़ सम्मेलन - श्रीमती डॉ इलाबहन - अहमदाबाद

इस लम्बी प्रक्रिया के पश्चात ये प्रयास रंग लाये और 19-20 नवम्बर 1994 को पावागढ़ (गुजरात) सिद्ध क्षेत्र मे अखिल भारतीय हूमड़ सम्मेलन आयोजित किया गया। हुमड़ इतिहास शोध समिति के माध्यम से अखिल भारतीय हूमड़ समाज संस्था के जन्म का विच्वार पैदा हुआ। इतिहास की जानकारी एकत्रित होने के साक क्षेत्रिय संगठनो से परिचय के कारण इस विद्चार ने और बल पाया। इतिहास के प्रथम अंक के विमोचन के साथ भिन्‍न भिन्न क्षेत्रों के हूमड़ इस माध्यम से मिले। इतिहास के प्रथम भाग के विमोचन के साथ “अखिल भारतीय हूमड़ संध” के बनाने का निश्चय किया गया। महिलाओं का सम्मेलन हुआ प्रदर्शी आयोजित की गई, सम्मान समारोह आयोजि हुये। “महासंघ संस्था का विधान बनाने के लिये एक विस्तृत एडहॉक कमेटी बनाई गई और उसे संविधान बनाने का निर्देश दिया गया।? इसी सम्मेलन में इन्दौर के “श्री शान्तिलालजी दोशी को” अध्यक्ष मनोनीत किया गया। दो वर्ष तक पुरे भारत के हूमड़ो को एक सूत्र में पिरोने हेतु आपने गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान के दौरे किये। पुना, में होने वाले परिचय सम्मेलन एंव अन्य जगहों पर हूमड़ समाज के कार्यक्रमों में भाग लेने हेतु अपने साथ एक प्रतिनीधी मंडछक लेकर जाते थे, कई बार उनके साथ इन प्रतिनीधी मंडलों में मुझे भी जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसबीच इतिहास के दूसरे भाग केलेखन का कार्य भी प्रगति पर था, श्री हीरालालजी सालगिया निरंतर धुम कर इतिहास प्रकाशन हेतु कार्यक्रम आयोजीत कर रहे थे धरियावद में विशाल सम्मेलन आयोजित हुआ। “श्री 105 अठारह हजार दशा हूमडजी साढे बारह मंदिरजी बंदीजी एंव चौखला संबधी दिगंबर जैन समाज” द्वारा 2 अक्टूबर 1996 को घरियावद में आयोजित हुआ जिसमें 70 गाँबो ने भाग लिया था। श्री हीरालालजी के साथ इन्दौर से श्री शांतिलालजी दोशी, कौशल्या पतंग्या हसमुख गाँधी, मुम्बई से श्री झानचन्द्रजी सठे ने विशेष रुप से भाग लिया। समाज में व्याप्र कुरितियों पर खुलकर चर्चा हुई एंव इतिहास द्वितीय भाग के प्रकाशन पर चर्चा हुई।
इसी समय अ.मा. हूमड जैन महासंघ की (एडहाक तथा तदर्थ समिती) की बैठक इन्दैार में श्री हूमड समाज भवन महेश पार्क परहुई । इन्दौर, अहमदाबाद, उज्जैन, प्रताबगढ़ से आमन्त्रित सदाय्यो ने मिल बैठकर संघ के प्रात्तादित एंजेडेपर विद्वार दिमर्श किया। सहकारी क्षेत्र में बैंक व खादी विपेज इंडस्ट्रीज बोर्ड के अनगित सहकारी समिति के गठन पर गहराई से सोच विच्चार किया पर यह निर्णय लिया कि पहले सगंठन मजबूत होना चाहिये, इसके बाद साख संस्था का गठन करना चाहिए।
इतिहास शोध समिति के महामंत्री श्री हीरालालजी सालगिया ने आयव्यय पत्रक प्रस्तुत किया। मुम्बई निवासी श्रीमहावीर भाई नेन्यूबाम्बेमें अपनी विशाल जमीन में से 7.30 एकड़ जमीन अल्पमूल्य में संघ को देने का प्रस्ताव रखा | इस पर एक समिति का गठन किया गया कि वह भूमि का सर्वेक्षण कर निर्णय लें।
तत्पश्चात अ. मा. हूमड जैन महासंघ की म. प्र. इकाई की कार्यकारिणी की सभा उज्जैन में सम्पन्न हुई। इसमें सर्वानुमति से निर्णय लिया गया कि इन्दौर में सहकारी बैंक का कार्य प्रांरभ किया जया। इस हेतु 5 सदस्यीय समिति का गठन किया गया।
31 अक्टूबर व नवम्बर को आयोजित अधिवेशन की जानकारी महामंत्री श्री प्रकाश सालगिया ने दी । टागामी हूमड़ इतिहास के द्वितीय अंक के प्रकाशन एंव विमोचन की जानकारी कौशल्या पतग्या ने दी। कांतिचन्दली मिन्‍्डा ने आभार व्याकिया । महासंघ के अध्यक्ष श्री शान्तिलालजी दोशी एंव म. प्र. इकाई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री रतनलालजी बंडी ने सभा को संबोधित किया। अज्जैन समाज के श्री राजमलजी सालगिया, श्री राजमलजी दोशी, श्री सुनीलदोशी, श्री अक्ष्यजैन आदि ने सभी का स्वागत किया। इस सभा में इन्दौर देवास उज्जैन, मन्दतौर भाबुआ आदिजगह के 40 प्रतिनिधी उपस्थित थे। सभा का संचालन श्री पवन बागड़िया ने किया।
जैवराज गाँधी की अध्यक्ष पद पर नियुक्ति - श्रीमान्‌ शांतिलालजी दोशी का द्विवर्षीय कार्यकाल समाप्‌ हुआ और अब महाराष्ट्र से मुम्बई के उपनगर कुरला में जीवराजगाँधी के निवास पर महासंघ की मिटिंग हुई जिसमें इन्दौर, मुम्बई, उज्जैन, पुना कई जगहों के डेलीगेटा इसमे समिलित हुये। इतिहास के दूसरे भाग के प्रकाशन पर चर्चा हुई एंव इसमें श्री जीवराज गाँधी को अध्यक्ष मनोनित किया गया।

श्री जावराजजी गाँधी ने पुरे महाराष्ट्र में क्षमण कर इतिहास प्रकाशन हेतु घन संचय का कार्य किया । इसी समय जीवराजगाँधी इन्दौर स्नेहसम्मेलन में मुख्य अतिथि के रुप में आये। जीवराज गाँधी महाराष्ट्र में जाने माने थे पर शेष भारत को वह जोड़ नही पाये।
थ्दनांक 5 एवं 6 जून 98 को महाराष्ट्र के फल्टन में महा सम्मेलन एंव हूमड इतिहास का विमोचन किया गया। यहा दो सत्रों में कार्यक्रम आयोजित किया गया। पहले सत्र की अध्यक्षता हीरालाल माणकचंद गाँधी (अकलूज) ने की। इतिहास के दूसरे भाग का विमोचन श्री विमलचंदजी गाँधी इन्दौर ने किया। इस अवसर पर विशेष अतिथि निवालकर शिवाजी राजे नाईक (मेयर फल्टन) अपस्थित थे।
इतिहास के द्वितीय भाग की प्रथम का श्री अनिलकुमारजी मेहता ने 36000/ में प्राप्त की। , द्वितीय सत्र में अखिल भारतीय महिला सम्मेलन आयोजन किया गया। इस सत्र की संयोजिका 'कौशल्यापतंग्या ने थी। अध्यक्षता सौ, का. धनश्री अरविंद फडे ने की। विभिन्‍न प्रान्तों से आये प्रतिनिधियों ने भी अपने विच्चारों और कार्यो का आदान प्रदान किया।
सम्मेलन सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ। अब इतिहास शोध समिति का कार्य समापृ्‌ हा गया था । जीवराजजी गाँधी महाराष्ट्र में इसका प्रचार प्रसार करते रहे। कुन्थलगमिरी में विशाल महिला सम्मेलन आयोजिक किया गया ॥ श्रीमती वैशाली शाह ने पुरे महाराष्ट्र की सभी महिला संगठनो को इसमें आंमन्त्रात किया। इन्दौर से इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रुप में कौशल्या पतंग्या को आंमन्त्रित किया “गया। करीब 1500 महिलायों विभिन्‍न प्रान्तों से यँहा आई थी विभिन्‍न विषयों पर बेबाकी से अपने विद्यार स्खें। एक अखिलभारतीय महिला संगठन के निर्माण का विच्चार भी इस सम्मेलन में उमर कर आया। महाराष्ट्र की महिलायें धार्मिक सामाजिक, एंव राजनैतिक क्षेत्र में अच्छी दखलअंदाजी स्खती हैं। महाराष्ट्र में अलग अलग जगह महिला संगठनो द्वारा युवक-युवती परिचय सम्मेलन आयोजित किये जाते थे, इसमें जीवराजली गाँधी को अखिलभारतीय हूमड़ समाज के अध्यक्ष के नाते आमन्त्रित किया जाता रहा। पर वे उत्तर भारत और मध्यभारत में संगठन को मजबूत नहीं कर पाये ओर धीरे धीरे यह संस्था शिथिल हो गई।
चूँकि मनुष्य एक साममजिक प्राणी है जुड कर रहना उसकी आंतरिक इच्छा है। अखिलभारतीय संगठन की सुगबुगाहर मन में चल रही थीं मुम्बई, अमहदाबाद, इन्दौर के लोग विशेष रुप से उत्याहित थे

सन्‌ 2005 में जब स्व. सुरजमलली सालगिया इन्दौर समाज के अध्यक्ष थे तब आपने राष्ट्रीय स्तर का एक कार्यक्रम अप्सरा होटल में आयोजित किया जिसमें उज्जैन देवास मन्दसौर मुम्बई, अहमदाबाद एंव आसपास के सकी प्रबुद्धजनों को आमन्त्रित किया गया।

इस गोष्टी को नाम दिया गया “सामाजिक गतिविधि परिचर्चा” जिसमें सभी संगठनो ने अपने याँहा होनेवाले कार्यक्रमों की जानकारी दी। इसी गोष्टी में अखिल भारतीय संगठन (फेडरेशन) के लिये महत्त्वपूर्ण संकेत उमर कर आये।
श्री हूमड़ जैन समाज मुम्बई ने अपने अमृतमहोत्सव वर्ष के कार्यक्रम में “अखिल भारतीय हूमड़ जैन अधिवेशन 2 व 3 दिसम्बर 2006 को मुम्बई पोदनपुर में आयोजित करने की घोषणा की। इस अधिवेशन में मुम्बई, इन्दौर, प्रताबगढ़ उदयपुर, मंदसौर, देवास, उज्जैन, अहमदाबाद, बडौदा, सूरत, घुलिया, बाँसवाड़ा, बागीदौर, कंलिजरा, साबला, रतलाभ, डडूका, कुशलगढ़, जयपुर, दाहौद आदि स्थानों से करीब 150 लोगों ने भाग लिया। 4 सत्रों में कार्यक्रम आयोजित किया गया दो दिनी मंथन के बाद श्री के. एम. शाह (संयोजक अधिवेशन) ने फेडरेशन के गठन पर समस्त प्रतिनिधियों की सहमति पर प्रसन्नता व्यक्त की ।॥ श्री हूमड़ जैन समाज मुम्बई के अध्यक्ष श्री महेन्द्रशाह ने “ हूमड़ जैन फेडरेशन क निर्माण के लिये प्रस्ताव प्रस्तुत किया। समर्थन श्री सूराजमलजी सालगिया अध्यक्ष इन्दौर ने किया । फेडरेशन गठन की स्वीकृति उपस्थित जनसमूह ने हाथ उठाकर दी।
तदनुसार सदस्यी संविधान निर्माण समिति का गठन किया गया -
1 श्री, देवेन्द्र छापिया - उदयपुर
2 श्री कांतिचन्दजी मिन्‍्डा - मन्दसौर
3 श्री बसंत लालजी जैन - साबला
4 श्री पवन बागड़िया - इन्दौर
5 निरजन जुवाँ - अहमदाबाद,
6 बाबुलालजी शाह - मुम्बई
7 श्री, के एम. शाह - मुम्बई
8 श्री महेन्द शाह - मुम्बई
9 सूरजमलजी सालगिया - इन्दौर
10 श्री, भरतकुमार कोरावत - परतापुर
11 श्री, अजित कोठिया - डडुका
12 श्री, अतुल सालगिया - मुम्बई
13 श्री, हीरालाल जैन - वलिजंरा
14 श्री, शातिलालसेठ - बालेवाडा

इस संविधान निर्माण समिति के संयोजक श्री स्व. बाबुलालजी शाह मुम्बई थे। आपके नेतृत्व में मुम्बई एंव अहमदाबाद में कई मिटिग्सि आयोजित की गई। एंव नियमावली का निर्माण किया गया।
श्री निरजनंजी जुर्वाँ एंव श्री बाबुलालजी शाह के अथक प्रयासों से 14 अप्रेल 2007 को मुम्बई में संविधान का प्रारुप तैयार किया गया एंव एक एडहोक कमेटी का निर्माण किया गया जिसके चेयरमेन श्री देवेन्द्र कुमारजी छापिया उदयपुर को नियुक्‍त किया गया
1 जुलाई 2007 को संविधान पारित किया गया एंव “फेडरेशन ऑफ हूमड़ जैन समाज” के नाम से संस्था का रजिस्ट्रेशन किया गया। इसका पंजीकृत कार्यालय
9, सिंदूर को आपरेटिव हाउसिंग सोसायटी, लि. ईश्वर भवन के पास, नवरंगपुरा अहमदाबाद - ग्रुजणत पिन - 380014, तय किया गया।
ठस संगठन के निर्माण के निम्म उद्देश्य एंव लक्ष्य निर्धारित किये गये

मेमोरेन्डम ऑफ एसोसीएशन

1. नाम : संगठन का नाम “फेडरेशन ऑफ डूमड़ जैन समाज” होगा।
2. कार्यालय : फेडरेशन के कार्यालय निम्नानुसार होंगे :
(अ) पंजीकृत कार्यालय : फेडरेशन का पंजीकृत कार्यालय 9 सिंदुर को-ऑपरेटीव हाउसिंग सोसायटी लि. ईश्वर भवन के पास, नवरंगपुरा, अहमदाबाद - 380 014 गुजरात (भारत) में होगा और या कालान्तर में कार्यालय का स्थान परिवर्तन सहमति से लिए गये निर्णयो द्वारा होगा।
3, लक्ष्य और उद्देश्य : फेडरेशन के निम्न लक्ष्य और उद्देश्य है :
(1) छात्र/छात्राओ को शिक्षा सम्बन्धी सहयोग प्रदान करना।
(2) उच्च शिक्षण या अनुसंधान में प्रवृत्त विद्यार्थियों को नियमित तथा आकस्मिक छात्रवृत्तियाँ प्रदान करना। विधि, अर्थशास्त्र, तकनीकी, आयुर्विज्ञान तथा अन्य शिक्षण सम्बन्धी शिक्षा प्रदान करने वाली संस्थाओं को आर्थिक सहयोग प्रदान करना।
(3) शैक्षणिक संस्थाएं जैसे विश्वविद्यालय, कॉलेज, विद्यालय, छात्रावास व अनाथालय का निर्माण व प्रबंधन करना।
(4) संस्थाओं और व्यक्ति विशेष को इतिहास सम्बन्धी विषयों पर शोध, संरक्षण एंव प्रकाशन हेतु प्रोत्साहित करना।
(5) निराश्रित/निर्धन तथा वरिष्ठजनों के लिए चिकित्सा सहायता प्रदान करना तथा चिकित्सा सम्बन्धी बीमा योजनाओं को उनके लिए अपनाना।
(6) पात्र व्यक्तियों को रोगोपचार हेतु आवश्यक सहायता-प्रदान करना।
(7) सार्वजनिक अस्पताल, औषधालय, प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र तथा यो केन्द्र एंव विशेष रोग, निवारण केन्द्र की स्थापना, निर्माण एंव संचालन व भवन मरम्मत/नवीनीकरण आदि करवाना।
(8) स्व-सहायता कार्यक्रमों/केन्द्रो का संचालन करना जहाँ जरुरतमंद हुनर सीखकर जीवन निर्वाह कर सकें।
(9) समाज के लिए महत्त्वपूर्ण एंव हितकारी योजनाए सम्बन्धित विभाग से प्राप्त करना एंव इसमे आ रही कठिनाईयों के निवारण हेतु सहयोग करना।
(10) जनहित सम्बन्धी प्रकरणों के लिए सक्षम अधिकारियों/विभागों को सर्म्पक करना. जन जागृति/चेतना उत्पन्न करना एंव सहयोग करना।
(11) जनहित में व्यक्तियों की सामाजिक स्थिति, रूचि, हित तथा प्रतिष्ठा को संरक्षण प्रदान करने संबंधी कार्य करना।
(12) समान विचारों तथा उद्देश्यों वाले अन्य सामाजिक व सांस्कृतिक संगठनो के साथ सम्मेलनों, विचार गोष्ठियों, कार्यशशालाओं तथा संयुक्‍त कार्यक्रमों का आयोजन करना।
(13) फेडरेशन के सदस्यों के मध्य सूचना तंत्र को सुदृढ़ करना तांकि नियमितरूप से सूचनाओं, साहित्या तथा सदस्यों द्वारा आयोजित गतिविधियों का आदान-प्रदान हो सके।
(14) सरकार द्वारा पारित प्रस्तावों, नियमों, आदेशों तथा अन्य उपयोगी सूचनाओं को जनजागृति हेतु प्रसारित करना।
(15) जनता में एकता, भाईचारे तथा सहकार की भावना को पुष्ट करना।
(16) सांस्कृतिक आदान-प्रदान द्वारा सामाजिक सम्बब्धों के निर्माण व विकास को पुष्ट करना।
(17) धर्मशाला, प्याउं तथा वृद्धाश्रम का निर्माण/संचालन करना तथा भवन मरम्मत/नवीनीकरण करना एंव ऐसे कार्यों के लिए अन्य संस्थाओं को दान देना। मुम्बई अधिवेशन 2006 में संविधान निर्माण समिति के साथ एक एडहॉक कमेटी का निर्माण किया गया। जिसमें निम्न सदस्य नियुक्‍त किये गये थे, जो बाद में संस्थापक सदस्य के नाम सें अंकित किये गये
(1) श्री, देवेन्द्रकुमार छाप्या - उदयापुर - चेयरमेन
(2) स्व. श्री काोतिचन्दजी मिन्‍्डा - मन्दसौर - वाईस चेयरमेन
(3) श्री. बंसतीलाल भुमकलाल जैन - सबला - वाईस चेयरमेन
(4) श्री. पवन बागड़िया - इन्दौर - वाईस चेयरमेन
(5) श्री, निरजंनकुमार जुवाँ - अहमदाबाद - महामंत्री
(6) स्व. श्री, बाबुलाल हीरालाल शाह - मुम्बई - मंत्री
(7) श्री. के. एम. शाह - मुम्बई - सदस्य
(8) श्री. महेन्द्र शाह - मुम्बई - सदस्य
(9) स्व. श्री सूरजमल सालगिया - इन्दौर - सदस्य
(10) श्री. भरतकुमार कोरावत - परतापुर - सदस्य
(11) श्री. अजित कोठिया - डड्कका (राज) - सदस्य
(12) श्री. अतुल राजेन्द्र सालगिया - मुम्बई - सदस्य

संविधान निर्माण के बाद इसका प्रथम अधिवेशन श्री देवेन्द्रजी छाप्या की अध्यक्षता में उदयपुर में आयोजित किया गया। दो दिवसीय अधिवेशन में अनेक विषयों पर विचद्वार विमर्श हुआ। पुरे भारत को 5 क्षेत्रों में विभाजित कियागया -
(1) उत्तरी राज्य - राजस्थान, पंजाब, दिल्‍ली, एंव हरियाण
(2) मध्यभाग - मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश
(3) पश्चिमीभाग - गुजरात
(4) दक्षिणमध्यभाग - महाराष्ट्र, गोवा
(5) दक्षिण भाग - कर्नाटक, आंध्रप्रदेश व देश के शेषभाग
प्रत्येक क्षेत्र का एक वाईसचेयरमेन बनाया जावे, और उस राज्य की पुरी कार्यकारिणी बनाई जावे, जो फेडरेशन कर्यो को क्रियान्वित करें।
इस अधिवेशन में इतिहास, समाज के गोत्र, शिक्षा, एंव संविधान में उललेखित अनेक विषयों पर चर्चाहुई. एवं फेडरेशन की नई कार्यकारिणी के निर्माण का निर्णय लिया गया। फेडरेशन का पंजीकृत कार्यालय अहमदाबाद में है अत : कँँहा पर नईकार्यकारिणी के निर्माण की प्रक्रिया सम्पन्न हा एसा तय किया गया।
श्री दवेन्द्रजी छापिया ने इस अधिवेशन को सुनियोजित ढंग से आयोजित किया था। सभी लोगों ने आपके कार्य की भूरि-भूरि प्रंशसा की एंव आपके प्रति आभार व्यक्त किया।

प्रथम कार्यकारिणी

कार्यकाछ : 2008 - 2010
यष्ट्रीय चेयरमेन श्री हसमुख गाँधी - इन्दौर
यष्ट्रीय. महामंत्री - श्री निरजंनली ज़ुँवा - अहमदाबाद
श्री हसमुखजी के कार्यकाछ की प्रथम कार्यकारिणी मिर्टिंग इन्दौर में गोम्टगिरि पर आयोजित की गई थी जिसमें घरियावद से आदरणीय प्रतिष्ठाचार्य श्री हसमुखलालजी डागरिया जैन, मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित थे ॥ प्रथम सत्र उद्घाटन सत्र एंव सम्मान सत्र के रुप में आयोजित किया गया था। द्वितीय सत्र मे एजेन्डे के अनुसार कार्यकमो पर विस्तृत चर्चाये हुई।
सन्‌ 2008 में इन्दौर में आयोजित स्नेह सम्मेलन एंव परिचय सम्मेलन के अवसर पर एक दिन पूर्व फेडरेशन का राष्ट्रीय सम्मेलन स्थानीय जालसभागृह में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रुप में श्रीमती जयश्री कियावत को आमंत्रित किया गया था।
विभिन्‍न स्थानो से पधारे वक्‍ताओं ने अपने अपने विद्चार इस अधिवेशना में रखे।
द्वितिय ससत्र में साधारण सभा आयोजित की गई जिसमें वर्ष भर के कार्यक्रमों की समीक्षा की गई। सन्‌ 2009 में प्रताबगढ़ राजस्थान में अधिवेशन रखा गया । इस अधिवेशन के का संयोजन प्रताबगढ़ राजस्थान समाज ने किया। मुम्बई, इन्दौर, मन्दसौर, उज्जैन प्रताबगढ़ एंव आसपास के अनेक डेलीगेट्स ने इसमें भाग लिया । इस सम्मेलन में श्री महामंत्री श्री निरजंनाजी जुँबने एक अखिल भारतीय महिला संगठन के निर्माण का प्रारुप प्रस्तावित किया था। जो बाद में ठंडे बस्ते में चला गया। मुम्बई से श्री के. एम. शाह साहेब ने विशेष रुप से उपस्थित रहो इस तरह श्री हसमुखजी गाँधी की अध्यक्षता में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

2010 - 2012 द्वितीय कार्यकारिणी का चयन अहमदाबाद में हआ
श्री निरजंन जुँवा यष्ट्रीय अध्यक्ष सर्वसम्मति से नियुक्त किये गये
श्री अजित कोठिया डड्डुका राष्ट्रीय महामंत्री नियुक्त किये गये।
इस कार्यकारिणी का काछ स्वार्णिभ काछ कहा जा सकता है, सम्मानीय श्री निरजनली जुँवा ने अपने अथक प्रयास, दीर्घ विजन, एंव कुछ कर गुजरने की ललक से संविधान में उललखित सभी कार्ययोजनाओं को अम्ली जाना पहनाया। नेत्रदान एंव स्क्‍तदान को राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित कर हूमड़ समाज की पहचान अंकित की। इतिहास शोध समिती का सफल संचालन हेतु आपने दाहौद, देरोल, घरियावद में निरंतर तीन मिटिगें आयोजित की एंव अस्थुना (राजस्थान) में भव्य इतिहास शोध सम्मेलन आयोजित किया जिसमें 5 चौों प्रोदिन्ससे शोधकर्ताओं ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किये जिसमें डंगुरपुर हूमड़ समाज की विकास यात्रा. रत्नत्रय दिवाकर हूमड़ संत (लेखिका - कौशल्या पतंग्या) जैले मुख्य शोध पत्र थे। इन सभी शोध पत्रों को हूमड़ इतिहास मे रुप में प्रकशित किया गया। अस्थुना में भरे पड़े पुरातत्व अवशेष पर श्री रविन्द्रली पंडया एंव हीरालालजी जैन कंलिजरा ने विशेष कार्म कियां इसी कार्यकाल में फेडरेशन ऑफ हूमड़ जैन समाज की वेबसाईड बनाई गई जिसमें फेडरेशन की गतिविधियों, हूमड़ समाज का इतिहास, फेडरेशन का संविधान शिक्षा योजना, रक्‍तदान योजना, नेत्रदान योजना चिकिम्या योजना की जानकारी दी गई । ई बुलेटिन प्रांरभ किया गया।*० डर्णो सेवायें प्रांरभ की गई, जिसके द्वारा पुरे भारत के हूमड़ो को जोडुने का सफल प्रयास किया गया। स्टुडेन्ट असेसमेन्ट कार्यक्रम आयोजित किये गये। छपतसे पउचवूमतउमदज कार्यक्रमों की श्रूखंला चलाई गई। राष्ट्रीय अध्यक्ष निरजंन जुँता ने अपने कार्यकाल में पुरे भारत का दौरा किया और प्रोविन्‍्स को जोड़ने का सफल प्रयास किया।
आपने अपने रद प्रयासों से “ईडर” मे अखिल भारतीय सम्मेलन आयोजित किया जिसमें पुरे देश से 1000 के करीब डेलीगेट्स आये। 2 दिवसीय यह सम्मेलन बहुत सफल रहा क्येंकि “ईडर” हूमडों का उदगम स्थल है. जहा अनेक एतिहासिक, सांस्कृतिक घरोहरें आज भी वहाँ भौजूद है, जिसका सभी ने अवलोकन किया। इस अवसर पर शोध पत्रों के संकलन का प्रकाशन भी किया गया।
आपका पुरा प्रयास रहा कि खेड़ा ब्रह्मा को पर्यटक स्थली के रुप में विकसित किया जाय। हमारे गोत्रकुंड की बावडी कहा स्थित है जो बताली है कि छूमडो का मूलउदगम स्थान यही है।
सफलता पूर्वर्क कार्य करते हुये 2042 में आपका कार्यकाल समाप्र हुआ।

तृतीय कार्यकारिणी 2012 - 2014
राष्ट्रीय अध्यक्ष - श्री महेन्द्र जसवन्तलालजी शाह (मुम्बई) राष्ट्रीय महामंत्री - स्व. श्री संजय गाँधी (मनासा) महाराष्ट्र की राजधानी मुम्बई में इस कार्यकारिणी का गठन हुआ इस कार्यकारिणी की शपथ विधी इन्दौर में सम्पन्न हुई। इस कार्यकारिणी के कार्यकाल में छात्रो हेतु होस्टल बनाने के अनेक प्रयास हुये पर यह कार्ययोजना सफल न हो सकी | 2014 में अखिल भारतीय हूमड़ सम्मेलन इन्दापूर महाराष्ट्र में आयोजित किया गया। यह सम्मेलन पूर्ण रुपेण सफल रहा। B.J.S. के संस्थापक श्री शांतिलालजी मूत्था, श्री चकेश जैन एंव महाराष्ट्र राष्य के उद्योग मंत्री ने इसमें शिरकत की एंव बदलते परिवेश में समाज उन्नति कैसे करें इस पर सफल विचार विनिमय हुआ ।॥ प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ राजमलजी कोठारी ने अष्टापद की खोज पर अपना प्रजेन्टेशन दिया । इस सम्मेलन की पुरी जिम्मेदारी डॉ श्रेणिक शहा (इन्दापुर) ने ली थी

चतुर्थ कार्यकारिणी 2014 - 2016
राष्ट्रीय अध्यक्ष - श्री अशोकजी शहा उदयपुर (राजस्थान)
राष्ट्रीय मंत्री - श्री विपिन गाँधी इन्दौर (म. प्र.)
इस कर्यकारिणी की शपथ विधी 29 जून 2014 का गुजरात के भरुच शहर में हुई । इस कार्यकारिणी ने सम्पूर्ण भारत की पारिवारिक परिचय पत्रिका ;उमउडमते कपतमबजतवलद्ध ;जंजमूपेम द्ध समस्त राज्यवार प्रकाशित की। इस कार्यकाल में आजीवन सदस्य बहुत बनाये गये। श्री अशोकजी शाह ने उदयपुर में अखिल भारतीय हूमड़ सम्मेलन का आयोजन किया। आपके यँँहा सम्मेलन में 100 से 000 डेलीगेट्स ने भाग दिया । आपने सभी अतिथियों के पाँच सितारा होटल में ठहराया भव्य आयोजन किया। राजस्थान सरकार के गृहमंत्री श्री ग्रुलाबचन्दजी कटारिया ने इस सम्मेलन में सिरकत की। एंव जैन समाज दिनदूनी राज-चौगनी उन्नति अपने संगठनो के माध्यम से करे एसी भावना व्यक्त की। द्विदिवतीय सम्मेलन साधारण सभा के साथ सम्पन्न हुआ। यह सम्मेलन अत्यन्त राजशाही ठाट-बाट के रुप में आयोजित किया गया।

पंचम कार्यकारिणी 2016 - 2018
यष्ट्रीय अध्यक्ष - डॉ श्रेणिक शहा - इन्दापुर (महाराष्ट्र)
यष्ट्रीय महामंत्री - कौशल्या पतंग्या - इन्दौर (म. प्र.)
इस कार्यकारिणी का गठन हिम्मतनगर गुजरात में किया गया। इसकी शपथविधी दौडं (महाराष्ट्र) में आयोजित की गई। जिसमें गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, आंध्रप्रदेश सभी प्रोविन्‍्स के डेलीगेट्स एंव कार्यकारिणी सदस्य उपस्थित थे
इस कार्यकारिणी ने महिलादिंग का गठन किया। यह शाखा, मुख्य संस्था फेडरेशन ऑफ हूमड जैन समाज के निर्देशन में कार्य करेगी एसा अध्यक्ष डॉ श्रेणिकशहा ने बताया। महिला विंग का अध्यक्ष श्रीमती प्रिया शहा मुम्बई को बनाया गया।
26 जून 2016 को शपथ विधी सम्पन्न हुई। इस अवसर पर डॉ. जंयत करदीकर (कुर्बवाडी) ने संगठन की जरुरत पर अपना व्याख्यान दिया। डॉ प्रेमकुमार भट्टड़ (दौंड) ने नेत्रदान, नेत्रसुरक्षा, पर अपना प्रजेन्टेशन दिया।
इस कार्यकारिणी ने (1) । जुलाई को फेडरेशन के स्थापना दिवसपर रक्तदान केम्प, एंव वृक्षारोपन कार्यक्रम आयोजित किया (पुरे भारत के स्तर परो)
(2) राजून को अंतिराष्ट्रीय योग दिवस आयोजित किया। शपथ दिद्यी के साथ ही
(3) विभिन्‍न परियोजनाओं की कमेटियों का निर्माण किया
(4) वार्षिक केलेन्डर तैयार किया।
(5) शिक्षा छात्रशीत हेतु विभिन्‍न कोर्सेस का चार्ट तैयार कर सकी प्रोविन्स में पहुँचाया
(6) 5 चौप्रोविन्‍्स की कार्यकारिणी की डायरेक्टरी बना कर सभी प्रोविन्‍्स को प्रदान की।
(7) सागवाड़ा में “नवीन हूमड़ शिक्षण संकुल” के निर्माण में सहायता हेतु ॥ लाख का चेक प्रदान किया।
(8) संसक्षक सदस्य एंव संस्थागत सदस्य भी बनाये। इस कार्यकारिणी ने अपनी साधारण सभा इडुर्गेंखनुर में आयोजितकी इस कार्यकाल में अखिल भारतीय सम्मेलन पुना में होना तय हुआ पर सभी
कार्यकारिणी सदस्यों ने अनअपेक्षि खर्चो को देखते हुये स्थगित कर दिया।

छठी कार्यकारिणी 2018 - 2020
यष्ट्रीय अध्यक्ष - दिनेशचन्द्र शहा - डूंगरपुर - राजस्थान)
यष्ट्रीय मंत्री - मिहिर गाँधी - अकलुज
इस कार्यकारिणी का गठन उज्जैन में आयोजित मिर्टिंग में हुआ।
इस कार्यकारिणी की शपथविधी बारामती (महाराष्ट्र) में आयोजित हुई । इस कार्यकारिणी की प्रथम मिटिंग इन्दौर म. प्र. में नखरालीढाणी में श्री विपिनजी गाँधी के सौजन्य से हुई ॥ द्वितीय मिर्टिंग तांरगाजी (गुजरात) में 10 मार्च 2019 को श्री बंसतजी दोशी अहमदाबाद के सौजन्य से आयोजित की गई । इस कार्यकारिणी में म. प्र. प्रोविन्‍्स चेयरमेन
(1) कौशल्य पतंग्या के नेतृत्वमें इन्दौर में ठण्श्रणण के डायरेक्टर श्री फ्फुलजी पारख द्वारा गर्लस इम्पावरमेन्ट पर प्रभावी प्रस्तुती दी गई ।
(2) म. प्र. प्रोविन्‍्स के चेयरमेन एंव श्री चन्द्रकांत दोशी इन्दौर के सद्‌ प्रयासें से 8 विद्यार्थियों को शिक्षा छात्राकृती प्रदान की गई । राजस्थान प्रोविन्‍्स में निलेशजी सेठ ने बड़े पैमाने पर रक्‍तदान शिबिर आयोजित किया।
अभी इस कार्यकारिणी का पूरा वर्ष शेष है, आगे निरंतर कार्य करती रहेगी।

धन्यवाद
कौशल्या पंतग्या
प्रोविंस चेयरमेन म.प्र. छत्रीसगढ, ऊ 5
पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री फेडरेशन ऑफ हूमड जैन समाज
अध्यक्ष - श्री हूमड जैन समाज ट्रस्ट इन्दौर
फेडरेशन ऑफ हूमड जैन समाज
जिसे नेतृत्व दिया इन कर्मयोगिययोंन